राणा लाखा का मज़ाक – Joke by King Rana Lakha
जोधपुर के राठौड़ नरेश रणमल्लजी ने राजकुमार चंड के साथ अपनी पुत्री का विवाह करने के लिए चित्तौड़ नारियल भेजा. जिस समय जोधपुर से नारियल लेकर ब्राह्मण राज्यसभा में पहुंचा राजकुमार चंड वहां नहीं थे.
ब्राह्मण ने जब कहा कि राजकुमार के लिए मैं नारियल ले आया हूं तो हंसी में राणा लाखा ने कहा – मैंने तो समझा था कि आप इस बूढ़े के लिए नारियल लाए हैं और मेरे साथ खेल करना चाहते हैं.
राणा की बात सुनकर सब लोग हंसने लगे. राजकुमार चंड उस समय राजसभा में आ रहे थे. उन्होंने राणा की सब बाते सुन ली थी. बड़ी नम्रता से उन्होंने कहा परिहास लिए ही सही जिस कन्या का नारियल मेरे पिता ने अपने लिए आया कह दिया है. वह तो मेरी माता हो चुकी मैं उसके साथ विवाह नहीं कर सकता.
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राजकुमार चंड की हठ
यह बात बड़ी विचित्र हो गई थी. नारियल को लौटा देना तो जोधपुर नरेश तथा उनकी निर्दोष कन्या का अपमान करना था और राजकुमार चंड किसी प्रकार यह विवाह करने को तैयार नहीं थे राणा ने बहुत समझाया परंतु चंड टस से मस नहीं हुए. जिस पुत्र ने कभी पिता की आज्ञा नहीं डाली थी.
उसे इस प्रकार जिद करते देख राणा को क्रोध आ गया उन्होंने कहा यह नारियल लौटाया नहीं जा सकता रणमल्ल का सम्मान करने के लिए मैं इसे स्वयं स्वीकार कर रहा हूं किंतु स्मरण रखो यदि इस संबंध से कोई पुत्र हुआ तो चित्तौड़ के सिंहासन पर वही बैठेगा.
Prince Chand Pledge – राजकुमार चंड की प्रतिज्ञा
राजकुमार चंड को पिता की इस बात से तनिक भी दुख नहीं हुआ. उन्होंने भीष्म पितामह की भांति प्रतिज्ञा करते हुए कहा पिता जी मैं आपके चरणों को छूकर प्रतिज्ञा करता हूं कि मेरी नई माता से जो पुत्र होगा वही सिंहासन पर बैठेगा और मैं जीवनपर्यंत उस की भलाई में लगा रहूंगा.
चंड की यह प्रतिज्ञा सुनकर सब लोग उसकी प्रशंसा करने लगे. 12 वर्ष की राजकुमारी का विवाह 50 वर्ष के राणा लाखा से किया इस नवीन रानी से उनके 1 पुत्र हुवा. जिसका नाम मुकुल रखा गया.
जब मुकुल 5 वर्ष के थे तभी गया तीर्थ पर मुसलमानों ने आक्रमण कर दिया. तीर्थ की रक्षा के लिए राणा ने सेना तैयार करायी. इतनी बड़ी पैदल यात्रा तथा युद्ध से जीवित लौटने की आशा करना ही बेकार था. राजकुमार चंड से राणा ने कहा – बेटा मैं तो धर्म रक्षा के लिए जा रहा हूं, तेरे इस छोटे भाई मुकुल की आजीविका का क्या प्रबंध होगा. चंड ने कहा चित्तौड़ का सिंहासन मुकुल का है राणा नहीं चाहते थे कि 5 वर्ष के बालक को सिंहासन पर बैठाया जाए.
चंड ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की – Prince Story in Hindi
उन्होंने चंड को अनेक प्रकार से समझाना चाहा परंतु चंड अपनी प्रतिज्ञा पर स्थित थे. राणा के सामने ही उन्होंने मुकुल का राज्याभिषेक किया और सबसे पहले स्वयं उनका सम्मान किया. राणा लाखा युद्ध के लिए गए और फिर नहीं लौटे.
राजगद्दी पर मुकुल को बैठाकर चंड राज्य का प्रबंध करने लगे उनके सुप्रबंध से प्रजा सुखी एवं संपन्न हो गई. यह सब होने पर भी राजमाता को यह संदेह हो गया कि चंड मेरे पुत्र को हटाकर स्वयं राज्य लेना चाहते हैं.
उन्होंने यह बात प्रकट कर दी जब राजकुमार चंड में यह बात सुनी तब उन्हें बड़ा दुख हुआ वह राजमाता के पास गए और बोले मैं आपको संतुष्ट करने के लिए चित्तौड़ छोड़ रहा हूं किंतु जब भी आपको मेरी सेवा की आवश्यकता हो मैं समाचार पाते ही आ जाऊंगा.
रणमल्ल ने किया षण्यंत्र
चंड के चले जाने पर राजमाता ने जोधपुर से अपने भाई को बुला लिया पीछे स्वयं रणमल्ल जी भी बहुत से सेवकों के साथ चित्तौड़ आ गए थोड़े दिनों में उनकी नियत बदल गई वह अपने दोहित्र (नाती/grandson) को मारकर चित्तौड़ का राज्य हड़प लेना चाहते थे.
इसके लिए वह षड्यंत्र करने लगे. राजमाता को जब इसका पता चला वह बहुत दुखी हुई. अब उनका कहीं कोई सहायक नहीं था.
उन्होंने बड़े दुख से चंड को पत्र लिखकर क्षमा मांगी और चित्तौड़ को बचाने के लिए बुलाया. संदेश पाते ही चंड अपने प्रयत्न में लग गए अंत में चित्तौड़ को उन्होंने राठौरों के पंजे से मुक्त कर दिया रणमल्ल तथा उनके सहायक मारे गए तथा उनके पुत्र बोधा जी भाग गए. कुमार चंड जीवन पर्यन्त राणा मुकुल की सेवा में लगे रहे.
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