आज हम आपके लिए एक कहानी लेकर आये है ये Kahani Raja Rani ki एक राजा और उसकी दो रानियों की है.
राजा रानी की कहानी – Raja Rani ki Kahani
बहुत समय पहले की बात है. एक स्वर्णनगरी नामक राज्य था. यह राज्य हर संसाधन से संपन्न था. इस राज्य की प्रजा खुश थी. किसी को किसी चीज़ की कमी नहीं थी. स्वर्णनगरी के राजा की दो रानियाँ थी. बस राजा को एक बात की चिंता खाए जा रही थी की उसकी कोई संतान नहीं थी.
राजा का अधिकतर समय अपनी बड़ी रानी के साथ बीतता था. क्योकि वह बहुत ही सुशील और व्यवहार कुशल थी. राजा को हमेशा उचित सलाह देती थी. वह राज्य की परेशानियों का हल निकलकर राजा को बताती थी. राजा की छोटी रानी थी वह बहुत ही कपटी और धूर्त थी. हमेशा अपनी तारीफ सुनना पसंद करती थी.
छोटी रानी दासी – Chhoti Rani ki Daasi
छोटी रानी के एक दासी थी जो जादू टोना करना जानती थी और कई लोगो पर उसने इसका प्रयोग करके उनको बर्बाद किया था. दासी यह चाहती थी की छोटी रानी के किसी तरह से एक संतान हो जाये जिससे वह राज्य की महारानी बन जाये. इससे दासी को अपनी मनचाही तरीके से राज्य में शासन करने का मौका मिल सके. परन्तु दासी अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकी. और उसके मंसूबो में पानी फिर गया. Also read 3 short Hindi story with moral values.
सन्यासी का राजा रानी को आशीर्वाद – Sanyasi ka Raja Rani ko Ashirvad
एक दिन राजा अपनी बड़ी रानी के साथ वन विहार को गए थे वह उन्हें एक सन्यासी मिले. राजा रानी ने सन्यासी का काफी स्वागत सत्कार किया.
राजा के इस सेवा से सन्यासी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा रानी को शीघ्र ही माता पिता बनने का आशीर्वाद दे दिया जिसे सुनकर राजा रानी अति प्रसन्न हुए और महल वापस आ गये. छोटी रानी को जब यह बात पता चली तो वह दुखी हो उठी उसने राजा से एक वचन लिया की जब बड़ी रानी को प्रसव पीड़ा हो तो वह और उनकी दासी ही उनके पास रहेगी वही सारा कार्य करेगी. राजा ने छोटी रानी की बात मन ली.
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समय बीतता गया और बड़ी रानी गर्भवती हो गयी संपूर्ण राज्य में खबर फ़ैल गयी राज्य वैध को निर्धारित किया गया जिससे रानी का उचित उपचार होता रहे और देखभाल के लिए राजा ने अपने सबसे खास मंत्री की पत्नी को रानी की देख रेख के लिए सुन्चित किया. समय बीतने लगा और एक दिन रानी को प्रसव पीड़ा होने लगी यह खबर राजा तक पहुचाई गयी. छोटी रानी अपनी दासी के साथ वहां पहले ही पहुँच चुकी थी.
छोटी रानी का षड़यंत्र – chhoti Rani ka Shadhyantra
छोटी रानी ने दासी ने दासी के साथ यह यजना बनायी थी की जैसे ही बड़ी रानी को बच्चा पैदा हो वह उस बच्चे की जगह पर एक मरा हुवा बच्चा रख दे. परन्तु हुआ क्या की बड़ी रानी ने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया. बड़ी रानी बच्चो को जन्म देने के बाद बेहोश हो गयी. रानी की बेहोशी का फायदा उठाते हुए दासी दोनों बच्चो को फलों की टोकरी में रखकर महल के बाहर ले गयी और अपने गुप्तचर से उन दोनों को ख़त्म करने को कहा.
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जबतक वो महल वापस आई छोटी रानी ने राजा के पास सन्देश भिजवाया की बड़ी रानी ने मरे हुए बच्चे को जन्म दिया है. जिसे सुनकर राजा को बहुत दुःख हुआ और पुरे महल में शोक का माहौल बन गया. बड़ी रानी को होश आने पर बताया गया की उसका बच्चा पैदा होते ही मर गया. यह सुनकर रानी को विश्वास नहीं हुआ. उसे सदमा लग गया. वह न किसी से बात करती थी नहीं सही से खाती पीती थी. उसकी हालत पागलो जैसी होगई थी.
बड़ी रानी को यातना – Badi Rani ko Yatna
इस बात का फायदा छोटी रानी ने उठाया और राजा को कहा की बड़ी रानी पागल हो गयी है और उन्हें महल में रखना ठीक नहीं है. वह किसी को भी हनी पंहुचा सकती है. इसलिए बड़ी रानी को बंदी गृह में रखा जाये और वह उनका उपचार वही करवाती रहेंगी.
बड़ी रानी को बंदी गृह में डाल दिया गया और उपचार के नाम पर तरह तरह की यातनाये दी जाने लगी. खाने के नाम पर उन्हें चोकर की रोटी और नारियल के खोपरे में पानी दिया जाता था. कुछ समय बाद राजा भी अपने राजकीय कार्य में तल्लीन हो गये और छोटी रानी को अपना प्रमुख सलाहकार बना दिया और राज्य के सभी कार्यो की जिम्मेदारी रानी को दे दी. अब तो पूरे राज्य पर जैसे छोटी रानी का ही राज्य था.
निष्कर्ष : Raja Rani ki Kahani part-2 & 3| आगे की कहानी भाग -२ में
– दोस्तों यह Raja Rani Ki Kahani अभी पूर्ण नहीं है हम कहानी लिख रहे हैं. जल्दी ही इसके आगे की कहानी भाग -2 & Part 3 (Ek Rajkumar ki Kahani) में पढ़िए . कृपया इसी कहानी के बारे में आपकी राय क्या है , हमें कमेंट में जरूर लिखिए .
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Raja rani ki yah story mujhe bahut hi acchi lagi. Aapse meri request hai ki istarah ki Hindi me Kahaniya es website mein aur jyada publish kare.