चतुर गीदड़ – A hindi short story with moral : आज हम एक ऐसी Hindi Kahani पढ़ेंगे जिससे की हमें बहुत अच्छी Education मिलगी यह एक चतुर गीदड़ की कहानी आखिर वो चतुर कैसे कहलाया इसको जानने के लिए चलिए ये कहानी पढ़ते है।
बुद्धिमान गीदड़ की शिक्षाप्रद कहानी / A Hindi short story with moral of Clever Jackal
किसी जंगल में एक चतुर और बुद्धिमान गीदड़ रहता था| उसके चार मित्र बाघ, चूहा, भेड़िया और नेवला भी उसी जंगल में रहते थे| एक दिन चरों शिकार करने जंगल में जा रहे थे| जंगल में उन्हों ने एक मोटा ताजा हिरन देखा उन्हों ने उसे पकड़ने की कोशिश की परन्तु असफल रहे| उन्हों ने आपस में मिलकर विचार किया| गीदड़ ने कहा यह हिरन दौड़ने में काफी तेज है| और काफी चतुर भी है|
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बाघ भाई! आपने इसे कई बार मारने की कोशिश की पर सफल नहीं हो सके| अब ऐसा उपाय किया जाए कि जब वह हिरन सो रहा हो तो चूहा भाई जाकर धीरे धीरे उसका पैर कुतर दे, जिस से उसके पैर में जखम हो जाये| फिर आप पकड़ लीजिए तथा हम सब मिलकर इसे मौज से खाएं| सब ने मिलजुल कर वैसे ही किया| जखम के कारन हिरन तेज नहीं दौड़ पाया और मारा गया| खाने के समय गीदड़ ने कहा अब तुम लोग स्नान कर आओ मैं इसकी देख भाल करता हूँ|
सब के चले जाने पर गीदड़ मन-ही-मन विचार करने लगा| तब तक बाघ स्नान कर के लौट आया| गीदड़ को चिंतित देख कर बाघ ने पूछा- मेरे चतुर मित्र तुम किस उधेड़ बुन में पड़े हो? आओ आज इस हिरन को खाकर मौज मनाएँ| गीदड़ ने कहा बाघ भाई! चूहे ने मुझ से कहा है कि बाघ के बल को धिक्कार है! हिरन तो मैंने मारा है| आज वह बलवान बाघ मेरी कमाई खाएगा| सो उसकी यह धमंड भरी बात सुन कर मैतो अब हिरन को खाना अच्छा नहीं समझाता| बाघ ने कहा- अच्छा ऐसी बात है? उसने तो मेरी आखें खोल दीं| अब में अपने ही बल बूते पर शिकार कर के खाऊंगा|
यह कह कर बाघ चला गया| उसी समय चूहा आ गया| गीदड़ ने चूहे से कहा-चूहे भाई! नेवला मुझ से कह रहा था कि बाघ के काटने से हिरन के मांस में जहर मिल गया है| मैं तो इसे खाऊंगा नहीं, यदि तुम कहो तो मैं चूहे को खाजाऊँ| अब तुम जैसा ठीक समझो करो| चूहा डर कर अपने बिल में घुस गया|
अब भेड़िये की बारी आई| गीदड़ ने कहा- भेड़िया भाई! आज बाघ तुमपर बहुत नाराज है मुझे तो तुम्हारा भला नहीं दिखाई देता| वह अभी आने वाला है| इसलिए जो ठीक समझो करो| यह सुनकर भेड़िया दुम दबाकर भाग खड़ा हुआ| तब तक नेवला भी आ गया| गीदड़ ने कहा- देख रे नेवले! मैंने लड़कर बाघ भेड़िये और चूहे को भगा दिया है| यदि तुझे कुछ घमंड है तो आ, मुझ से लड़ ले और फिर हिरन का मांस खा| नेवले ने कहा- जब सभी तुमसे हार गए तो में तुमसे लडनेकी हिम्मत कैसे करूँ? वह भी चला गया|
अब गीदड़ अकेले ही मांस खाने लग गया| इस तरह गीदड़ ने अपनी चतुराई से बाघ जैसे ताकतवर को भी मात दे दी|
Conclusion & Moral of the Story:
अगर आपको अपने से ज्यादा ताकतवर को हराना है तो बुद्धि से हरा सकते है, बल से नहीं.
दोस्तों यह कहानी (चतुर गीदड़ – A hindi short story with moral) हमें अरविन्द कुमार जी ने भेजी है. आपको यह कहानी कैसी लगी हमें अपनी राय कमेंट करके जरूर बताइए & इस पोस्ट को सोशल मीडिया में जरूर शेयर करिए.
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यह कहानी अरविन्द कुमार ने भेजी है और उनके बारे में ज्यादा जानकारी आप उनकी वेबसाइट पर ले सकते है.
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