दोस्तों, आपके लिए एक नयी कहानी / Hindi Kahani पब्लिश कर रहे है.
आपने कभी पैसो के पेड़ के बारे में सुना है या देखा है? अगर आपको पैसो का पेड़ और अपने दोस्त दोनों में से
किसी एक को चुनना पड़े, तो आप किए चुनोगे?
ये कहानी एक किसान की है जिसे एक पैसो का पेड़ मिलता है लेकिन वो उस पैसो के पेड़ को अपने दोस्त के लिए त्याग देता
है। अब वो ऐसा क्यों करता है ये जानने के लिए हमारी ये कहानी अंत तक ज़रूर देखे।
बहुत समय पहले की बात है फसलपुर नाम का एक गांव था। उस गांव में ज़्यादातर किसान ही रहते थे जी खेती
कर मेहनत से अपनी ज़िंदगी गुज़ारते थे। लेकिन एक चंदू नाम का किसान था जो अपनी ज़िंदगी से बिलकुल भी
खुश नहीं था। उसकी इच्छाएँ कभी खत्म ही नहीं होती थी।
पढ़िए – कहानी दोस्ती बराबरी में
चंदू और राजू
चंदू:- ये कैसी ज़िंदगी जी रहा हुँ मैं। सुबह से शाम खेत में काम करो और तब भी अच्छी फसल नहीं उगती।
राजू:- अरे चंदू, इतने परेशान क्यों हो? देखना इस बार की फसल ज़रूर अच्छी होगी।
चंदू:- सिर्फ अच्छी फसल आने से क्या होगा राजू। पैसे भी तो अच्छे मिलने चाहिए।
राजू:- ज़्यादा पैसो की हमे क्या ज़रूरत है चंदू? तीन वक़्त का खाना, कपडे, मकान सब कुछ तो है हमारे पास।
चंदू:- मैं अपनी पूरी ज़िंदगी इस खेत में नहीं बिताना चाहता राजू। मेरे कुछ और भी सपने है।
राजू:- सपने देखना तो अच्छी बात है चंदू। लेकिन उन सपनो को पूरा करने के लिए तुम्हे उतनी भी तो
करनी होगी।
चंदू:- काश हमारे पास पैसो का पेड़ होता। हमे कभी भी इतनी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
राजू:- चलो अब सपने देखना छोड़ो और काम करो।
दोपहर होते ही खेत में काम खत्म कर चंदू और राजू अपने घर की ओर निकल जाते है।
चंदू:- अच्छा राजू, मैं आज जंगल के रास्ते जा रहा हुँ।
राजू:- क्यों? तुम्हारा कुछ काम है जंगल में?
चंदू:- मैं जंगल से कुछ लकड़ी काट कर उन्हें बाजार में बेचने जा रहा हुँ।
राजू:- तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए। वो पेड़ जिसे तुम काट कर पैसे कमाओगे, उस पेड़ से हमे और हमारे
पर्यावरण को भी बहुत से फायदे होते है।
चंदू:- क्या फायदा उन चीज़ो का जिनसे मुझे कोई फायदा ना हो? और वैसे भी मैं किसी सूखे पेड़ को ही काटूंगा।
तुम फिक्र मत करो।
राजू:- अच्छा ठीक है फिर चलता हुँ। अब बाकी जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। शाम से पहले ही घर वापिस आ जाना।
चंदू पेड़ काटने जंगल में चला जाता है। जंगल में वो बहुत समय तक एक सूखे पेड़ को ढूंढ़ता रहता है लेकिन उसे
कोई भी सूखा पेड़ दिखाई नहीं देता। तभी उसी नज़र एक साधू महाराज पर पड़ती है जो एक सूखे पेड़ के नीचे
ध्यान कर रहे होते है।
चंदू:- ये तो एक सूखा पेड़ है लेकिन ये साधू इसके नीचे क्यों बैठे है। अजीब बात है।
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चंदू और साधू महाराज
चंदू पेड़ के नीचे बैठे साधू महाराज के पास जाता है।
चंदू:- प्रणाम साधू महाराज। आप इस सूखे पेड़ के नीचे क्यों बैठे हो? आपको तो उस बड़े पेड़ की छाओ में बैठना
चाहिए।
साधू:- जब मैं छोटा था, तब ये पेड़ भी बहुत बड़ा था। फिर जैसे ही मेरी उम्र बढ़ती गयी। ये पेड़ भी सूखता गया।
आज इस पेड़ से मुझे कोई छाँव नहीं मिलती लेकिन ये आज भी मेरे लिए बहुत अनमोल है। तुम बताओ, तुम्हारा
क्या काम है यहाँ?
चंदू:- मैं इस पेड़ को काटने आया हुँ।
साधू:- तुम इस पेड़ को काट कर क्या करोगे?
चंदू:- मैं इस पेड़ को बाजार में बेच कर कुछ पैसे कमाऊंगा।
साधू:- पैसे? तुम इस अनमोल पेड़ की तुलना पैसो से करते हो? तुम एक किसान हो, तुम्हे पेड़-पोधो को जीवन
देना चाहिए।
चंदू:- साधू महाराज, ये पेड़ अब पूरी तरह सूख चूका है। ना इस पर कोई फल आएंगे, ना ही इससे किसी को कोई
छाओ मिलेगी। फिर ये पेड़ अनमोल कैसे हुआ?
साधू:- तुम्हारे भी बाल एक दिन सफेद हो जायेंगे और तुम भी सूखे और कमज़ोर हो जाओगे। तो क्या तुम्हे भी
हम जान से मार दे?
चंदू:- साधू जी, आप ये फ़िज़ूल की बाते करके मेरा वक़्त बर्बाद मत कीजिये। मैं इस पेड़ को काटे बिना यहाँ से
नहीं जाऊंगा।
साधू:- सुनो बच्चे ये रखना याद, जड़े हमारे जीवन की जुडी है इन पेड़ो से ख़ास। जो तुम तोड़ोगे इन्हे, तो फिर टूट
जाएगी सास। फिर कैसा पैसा, क्या व्यापार। जब जीवन हो पूरा आसार।
साधू की बाते ना मानते हुए चंदू ने अपनी कुल्हाड़ी उठायी और उस सूखे पेड़ पर घाव करने लगा। जैसे ही वो उस
पेड़ पर घाव करने लगा, वो बेहोश हो कर नीचे गिर गया। चंदू को जंगल से वापिस ना आया हुआ देख राजू चंदू
को ढूंढ़ने जंगल की तरफ निकल पड़ता है।
जंगल में कुछ देर चलने के बाद राजू को भी वही साधू महाराज नज़र आते है। वो उन्ही साधू महाराज के पास
जाता है।
राजू:- प्रणाम साधू महाराज।
साधू:- जी, मैं क्या मदद कर सकता हुँ आपकी?
राजू:- साधू महाराज, मेरा एक दोस्त जंगल में लकड़ियाँ काटने आया था। वह अब तक घर वापिस नहीं लौटा है।
क्या आपने उसे कहीं देखा है?
साधू:- मुझे माफ़ करो बेटे। तुम्हारे दोस्त ने एक गलती की थी।
राजू:- कैसी गलती?
साधू:- उसने एक पेड़ को जान से मारने की कोशिश की और अब वो खुद एक सूखा पेड़ बन गया है। वो देखो।
राजू को एक सूखा पेड़ दिखाई देता है उसके नज़दीक पड़ी हुई कुल्हाड़ी और उसकी डाली पर लटका हुआ कपडा
देख वो समझ जाता है कि ये उसका दोस्त चंदू ही है।
राजू:- ये क्या होगया साधू महाराज? कृपया मेरे दोस्त की भूल को माफ़ कर दीजिये और उसे फिर से ज़िंदा कर
दीजिये।
साधू:- मैं उसे ज़िंदा तो नहीं कर सकता बच्चे लेकिन हां उसके बदले में मैं तुम्हे कुछ और दे सकता हुँ।
कैसे बना सोने का पेड़
साधू महाराज अपनी आँखे बंद कर के मंत्र जपने लगते है। देखते ही देखते वो पेड़ जिसके नीचे साधू महाराज बैठे
थे, पूरा का पूरा सोने में बदल जाता है। उसकी डालियों पर पत्तो की जगह पैसे उग जाते है। ये सब देख राजू
हैरान हो जाता है और सूखे पेड़ बने अपने दोस्त और उस पैसो के पेड़ की तरफ देखता रह जाता है।
साधू:- लो इस पैसो के पेड़ से तुम जितना चाहे उतना धन ले सकते हो। तुम इसकी सोने की डालियाँ काट कर
उन्हें बेच पैसे कमा सकते हो।
साधू महाराज का चमत्कार देख राजू उनके सामने नतमस्तक हो जाता है और रोते हुए उनसे कहता है
राजू:- साधू महाराज, ये पैसो का पेड़ मेरे किसी काम का नहीं। मैं एक किसान हुँ और मेहनत कर दुसरो के लिए
अनाज ऊगा कर अपना पेट भरता हुँ। आप मुझे मेरा दोस्त वापिस दे दीजिये। मैं आपसे उसकी गलती और मूर्खता
के लिए माफ़ी मांगता हुँ।
साधू:- उठो बेटे, तुमने आज ये साबित कर दिया कि इंसानो की इच्छाओं से ज़्यादा उसकी भावना और निष्ठा बड़ी
होती है। जाओ उस सूखे पेड़ पर ये पानी छिड़क दो।
राजू साधू महाराज की बात मानकर उस सूखे पेड पर पानी छिड़कने लगता है और चंदू इंसान के रूप में फिरसे
वापिस आ जाता है। चंदू और राजू दोनों ही हाथ जोड़ कर साधू महाराज को प्रणाम करते है।
साधू:- क्यों चंदू, होती है या नहीं सूखे पेड़ो में जान?
कहानी की सीख
Moral of the Story:- हमे हमारे कर्मो का फल ज़रूर मिलता है फिर चाहे वो कर्म अच्छे हो या बुरे हो।
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दोस्तों यह कहानी हमें Guest post में भेजी है – Shanayascollections.blogspot.com
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