धनतेरस क्या है? Dhanteras की पूजा विधि | Dhanteras कब & क्यों मनाते हैं ?

दोस्तों इस पोस्ट में धनतेरस क्या है ? कब है? धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनतेरस पूजा का शुभ महूर्त  & पूजा विधि-क्या है? इन सवालों के जवाब और जानकारी देंगे.

धनतेरस क्या है? What is Dhanteras in Hindi

धनतेरस यानी दीवाली से एक दिन पहले की जाने वाली पूजाIndia में दीवाली (Dipawali 2021 हिंदी ) से एक दिन पहले धनतेरस पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन लक्ष्मी- गणेश के साथ ही कुबेर की भी पूजा अर्चना की जाती है।

धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था। जो कि समुंदर मंथन के समय अपने हाथों में अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे, यही कारण है की भगवान धनवंतरी को औषधि का जनक भी कहा जाता है। धनतेरस वाले दिन सोना चांदी खरीदना शुभ माना जाता है । तो साथ ही इस दिन धातु खरीदने का भी चलन है।

Dhanteras ka Mahurat 2021: 02 नबंवर 2021, मंगलवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि

धनतेरस क्यों मनाया जाता है? Story of Dhanteras in Hindi?

शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी समुन्द्र मंथन से अपने हाथों में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे जिसने देवताओं को अमर बना दिया था। कहा जाता है कि धनवंतरी भगवान के 2 दिन बाद ही देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुईं थीं इसी कारण दिवाली से पहले धनतेरस मनाया जाता है।

धनतेरस का महत्व – Importance of Dhanteras 2021

Dhanteras Date Puja Mahurat Hindi

धनतेरस  के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुवा था. समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरी एक हाथ में अमृत कलश और एक हाथ में आयुर्वेद लेकर अवतरित हुए थे । इसलिए इनको आयुर्वेद / दवाओं  का पिता भी कहता है। इसी दिन धनवंत्री जयंती मनाई जाती है और धनतेरस को धन्त्रोदशी भी कहते है. धन का अर्थ है Money/ wealth / Rupees  है &  त्रौदशी का अर्थ  है 10 + 3 = 13 तेरहवां दिन.

धन्त्रियोदशी जिसे धनतेरस भी कहा जाता है, दिवाली उत्सव के पांच दिन लंबे समय का पहला दिन है। धनतेरस के दिन, देवी लक्ष्मी सागर के मंथन के दौरान समुद्र से बाहर आईं। इसलिए, भगवान कुबेर (जो धन का देवता है) के साथ देवी लक्ष्मी जी की पूजा त्रयोदशी या धनतेरस के शुभ दिन पर की जाती है। हालांकि, धनतेरस के दो दिनों के बाद अमावस्या पर लक्ष्मी पूजा को और अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

धनतेरस के दिन धन और स्वास्थ्य के भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाति है। इसका अर्थ यह हुआ की मनुष्य के लिए धन और स्वास्थ्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस दिन लोग सोने और चांदी की चीज़े  खरीदते है और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। इस दिन धातु से बनी चीज़े खरीदना शुभ माना जाता है। कहते है इस दिन कुबेर और धन्वन्तरी की पूजा करने से भाग्य में १३ गुना वृद्धि होती है. व्यवसायी लोगो के लिए इस दिन का बड़ा महत्त्व है। ये लोग अपने ग्राहकों के लिए उपहार आदि देते है और लक्ष्मी पूजा से धन एवं समृधि  का आवाहन करते हैं।

धनतेरस या धन्त्रियोदशी पर लक्ष्मी पूजा प्रदोस काल के दौरान की जानी चाहिए जो सूर्यास्त के बाद शुरू होती है और लगभग 2 घंटे और 24 मिनट तक चलती है। इस साल भारत में धनतेरस Friday, 13 November के दिन मनाई जाएगी.

अब आपको इस साल 2021 में धनतेरस की पूजा महूर्त और विधि क्या है यह बताते है – Dhanteras ka Mahurat 2021: 02 नबंवर 2021, मंगलवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि

धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कहानी (Dhanteras ki Pauranik Kahani)

एक कथा यह भी है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन गुरु शुक्राचार्य देवताओं के कार्य में बाधा डाल रहे थे जिसके बाद क्रोध में आकर भगवान विष्णु ने उनकी एक आंख फोड़ दी थी। कथा के अनुसार देवताओं को राजा बलि के डर से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए थे।

वामन रूप में होने के बाद भी शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचान लिया था और राजा बलि से आग्रह किया कि यह वामन कुछ भी मांगे इन्हें इनकार कर देना।

शुक्राचार्य के समझाने के बाद भी राजा नहीं माने और वामन द्वारा मांगी गयी तीन पग ज़मीन के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। जब शुक्राचार्य ने देखा की राजा उनकी बात नहीं मान रहे हैं तो उन्होंने लहू का रूप धारण किया और राजा के कमंडल में घुस गए। शुक्राचार्य के ऐसा करते ही कमंडल से जल निकलना बंद हो गया। भगवान उनकी चाल को अच्छी तरह से समझ गए और उन्होंने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमंडल में इस तरह से रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फुट गयी।

इसके बाद भगवान वामन ने अपने एक पैर से पूरी पृथ्वी नाप ली और दूसरे पैर से पूरा अंतरिक्ष, जब तीसरा पग रखने के लिए उनके पास कोई जगह नहीं बची तो राजा बलि ने अपना सिर उनके आगे कर दिया। ईसी तरह से राजा बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिल गयी और उन्होंने जो भी संपत्ति देवताओं से छीनी थी उसका कई गुना देवताओं को मिल गया। कहा जाता है कि इसी खुशी में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

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धनतेरस पूजा का शुभ महूर्त Kya Hai?

धनतेरस के दिन पूजा करने का बहुत महत्व है लेकिन ज़रूरी यह है कि हम सही महूरत पर पूजा करें ताकि हमारी पूजा सफल हो और हमें उसका लाभ मिल सके।

उपरोक्त में लाभ समय में पूजा करना लाभों में वृद्धि करता है। शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन , स्वास्थ्य और आयु में शुभता आती है। अमूत काल में पूजा करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है।

धनतेरस 2021 पूजा  सामग्री (Pooja Items):

धनतेरस की पूजा की सामग्री (Items for Pooja):

  1. मिटटी का हाथी
  2. धनवंत्री  भगवान की फोटो
  3. पुष्प / फूल और तुलसी
  4. गंगाजल या पाइन वाला स्वच्छ पानी
  5. चांदी  या तांबे की चम्मच / अनच्मानी
  6. तांबे की प्लेट और लोटा
  7. हल्दी, चावला, चंदन, धूपबट्टी, अगबट्टी आदि
  8. अपन रीति के अनूसर और सामग्री बढ़ा सकते है.

 

धनतेरस में पूजा विधी (Pooja Vidhi ):

  1. स्वच्छ पानी से पूजा का स्थान धो ले और गंगाजल का छिडकाव करे.
  2. लकडी / लकड़ी के ऊँचे स्थान पर या सिंघासन पर  साफ़ लाल कपडा या भगवा कपडा बिछा दे.
  3. वहा पर धनवंतरारी भगवान और मिट्टी का हाथी की स्थापना करे.
  4. चांदी  या तांबे की चम्मच या अचमानी से जल  का आन्च्मन करे.
  5. भगवान धनवंतरी की तस्वीर में चंदन, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाये,
  6. धन्वन्तरी और कुबेर पर ध्यान लगाये और अनकी पूजा करे
  7. मीठा का भोग चढ़ाये  और धुप बत्ती और दीपक जलाये.
  8. सबको प्रसाद दे.

धनतेरस का मंत्र

दीपदान करते समय मंत्रों का उच्चारण करें।

धनत्रयोदशी मंत्र-

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥

मंत्र का अर्थ-

त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के जाप से लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।

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धनतेरस पूजा का महत्व

धनतेरस पूजा की ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है वह तेरा गुना बढ़ जाती है। इसलिए लोग स्वस्थ जीवन की कामना के लिए देवताओं के चिकित्सक भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं। यही कारण है कि इस दिन कोई भी शुभ काम करने पर उसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए इस दिन चांदी, सोने के सिक्के, बर्तन गहने खरीदने का अधिक महत्व है। धन की प्राप्ति के लिए इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और पूजा अर्चना के बाद 13 दिए जलाने का भी अलग ही महत्व है। जिस से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद सब पर बना रहता है।

स्कन्दपुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रषोदकाल में दरवाजे पर यमराज के लिए दिप जला कर रखें। माना जाता है कि दरवाजे पर यमराज के लिए दिया जलाने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। ईस दिन पूरे विधि विधान के साथ देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। घर में लक्ष्मी जी के वास के लिए इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करना अनिवार्य है।

धनतेरस में क्या करें खरीदारी?

इस दिन लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करने का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा करने से मनुष्य को कभी भी धन और वैभव की कभी भी कमी नहीं होती है। इस दिन लोग दिल खोल कर खरीदारी करते हैं क्योंकि धनतेरस के दिन खरीदारी को शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन बर्तनों और गहनों की खरीदारी को और भी शुभ माना जाता है।

धनतेरस के दिन खरीदी जाने वाली विशेष चीज़ें-

1- बर्तन
2- चांदी के लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति
3- कुबेर जी की प्रतिमा
4- लक्ष्मी या श्री यंत्र
5- कौड़ी और कमल गट्टा

निष्कर्ष : 

अगर आप भी माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद चाहते हैं, और चाहते हैं कि आपके घर परिवार में सुख शांति बनी रहे और हमेशा धन की वर्षा होती रहे तो धनतेरस के दिन पूरे दिल माँ लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा अर्चना करें। साथ ही दिल खोल कर खरीदारी करें ताकि आपके घर में कभी किसी भी चीज़ की कमी न हो।

दोस्तों उम्मीद है यह information about धनतेरस क्या है ? कब है  ? धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनतेरस पूजा का शुभ महूर्त  & पूजा विधि-क्या है? पसंद आयी होगी और आपको इस के ज़रिये धनतेरस की बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी।  इस लेख के बारे में अपनी राय हमें कमेंट करके बताइए और इस पोस्ट को फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया में जरूर share करें.

आपको धनतेरस और दिवाली की बधाइयाँ.-

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